इस तरह का मैं तुम्हारा, प्यार लेकर क्या करूँगा।
इस तरह का मैं तुम्हारा, प्यार लेकर क्या करूँगा।
डूबकर मर जाऊँ वो, मंझधार लेकर क्या करूँगा।।
हर खुशी देता रहा हूँ, तुम न समझे प्यार मेरा।
शांति ना हो फिर जहाँ, घरद्वार लेकर क्या करूँगा।।
इस तरह का मैं तुम्हारा, प्यार लेकर क्या करूँगा।
डूबकर मर जाऊँ वो, मंझधार लेकर क्या करूँगा।।
हर खुशी देता रहा हूँ, तुम न समझे प्यार मेरा।
शांति ना हो फिर जहाँ, घरद्वार लेकर क्या करूँगा।।