घनाक्षरी
रूप घनाक्षरी (8,8,8,8,)
चलो सत्य पथ पर, अटल ईमान पर,
जीवन सुफल कर,बूझो सत्कर्म प्रधान।
सत्य से न हों विमुख,देखो न क्षणिक सुख,
त्यागिए गलत भूख,सत्यता को मिले मान।
सत्य की ही होती जय,असत्य की होती क्षय,
झूठे को सताता भय, सत्य का हो गुणगान।
सदा प्रिय सत्य बोल,जो मधुर रस घोल,
वाणी होती अनमोल,गुण यही है महान।
नरेंद्र सिंह,अत्तरी, गया