बदलाव
सब कहते हैं मुझसे कि तुम बदल गई हो,
मुझे समझ नहीं आता,
न तो मेरे हाथों के आकार बड़े हुए हैं,
न मेरी लंबाई बढ़ी हुई है,
और मैं पहले की तरह ही दिख रही हूं।
पता नहीं फिर भी लोग
क्यों कहते हैं कि मैं बदल रही हूं।
हाँ, कुछ तो बदला है !
शायद मेरे सोचने का ढंग बदला है।
अब दुख नहीं होता किसी की बातों से,
क्योंकि सीख लिया है मैंने !
अब उस दुख को सहना।
अब परेशानी नहीं होती लोगों की भीड़ से,
क्योंकि सीख लिया है मैंने !
उस भीड़ में भी खुद के
आस्तित्व को बचाए रखना।
अब परेशानी नहीं होती
मेरे विषय में लोगों के विचारों से,
क्योंकि सीख लिया है मैंने !
सबके विचारों से परे हटकर ,
अपने विचार पर स्थिर रह पाना ।
अब नहीं घबराती मैं शोर से,
क्योंकि सीख लिया है मैंने !
शोर के मध्य भी,
मन को शांत और एकाग्र रख पाना।
अब परेशानी नहीं होती
लोगों के उपहास करने से,
क्योंकि सीख लिया है मैंने !
खुद को हरपल परखते रहना।
अब घबराती नहीं मैं किसी भी परिस्थिति से,
क्योंकि सीख लिया है मैंने !
समस्या पर बल न देकर,
समाधान पर काम करना।
हाँ ! बदली हूँ और बदलते रहना ही जरूरी है,
नये विकास के लिए, नयी संभावनाओं के लिए।
बदलाव ही जीवन है और जीवन ही बदलाव है,
बदलते रहना ही होगा, आगे बढ़ने के लिए।
जीवन का सच्चा रहस्य परिवर्तन में ही है।
और यह हो किसी के लिए,
हितकर या अहितकर !
किंतु यह चलता ही रहेगा निरंतर ।
बदलाव की सकारात्मक पहल 🙏