माँ......
माँ……
कुछ नहीं है हमारे पास
और ना ही कुछ दे सकते हैं।
माँ के सम्मुख जाकर
उनके रोम -रोम को
रोमांचित कर सकते है।
एक माँ के लिए इससे बड़ी
ना कोई खुशी थी ना कोई है।
हज़ार बातें कर सकते हैं
हम उनसे दूर रहकर।
और हजार बातें समझ सकते हैं
हम उनके पास जाकर ।
शब्दों में बयां करना
जितना आसान होता है।
उनकी चंद बातें प्यार से ना सूनना
उतना ही दुखदायक होता है।
हजार भावनाएं उमड़ रही है हृदय में मेरे
सारी भावनाओं को समेटकर।
तुमसे मिलने आने का इरादा किया
ढलती उम्र का चेहरा देखकर तुम्हारा।
चेहरे पर पड़ी सलवटों पर
थोड़ी खुशी का मरहम लगाना चाहते हैं।
माॅं तुझसे मिलकर मातृ दिवस
हम मनाना चाहते हैं।।
हरमिंदर कौर ,अमरोहा
हरमिंदर कौर, अमरोहा