रात
आंखों ही आंखों में रात गुजर जाना है,
आज वह नहीं आया जिसे रोज आना है।
-इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश
आंखों ही आंखों में रात गुजर जाना है,
आज वह नहीं आया जिसे रोज आना है।
-इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदेश