हर रात
हर रात
जब आसमान पर तारे झिलमिलाते हैं,
लगता है मेरे अंदर के वीराने पर
तुम्हारे एहसास की बारिश हो रही हो
तुम नहीं होती, फिर भी होती हो..
मेरे तकिये की सलवटों में,
मेरी किताबों के मुड़े पन्नों में,
उस खाली कुर्सी पर
जो हर रात,
तुम्हारे इंतज़ार में ख़ाली होती है
हिमांशु Kulshrestha