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4 May 2025 · 1 min read

समाज को अपनी बपौती समझने वालों को समझ में आना चाहिए कि बदलते

समाज को अपनी बपौती समझने वालों को समझ में आना चाहिए कि बदलते दौर में कोई सदस्य समाज का नहीं, समाज सदस्य का मोहताज़ है।
😞प्रणय प्रभात😞

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