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12 Apr 2025 · 1 min read

ख़ामोश आँखें

ख़ामोश आँखें
जुबां ख़ामोश
ख़ामोश मैं
ख़ामोश तुम
अंतस में मचता तीखा शोर
बोलती नजरें
तेज़ी से चलती साँसे
उलझती डोर, अनगिनत बातेँ
कहने और सुनने को
और गहरा मौन

हिमांशु Kulshrestha

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