दोहा

भागता फिरे है , तू क्यों बन्दे
भौतिक जगत की चाह में I
जीवन को न्योछावर कर दें
प्रभु चरणों की राह में II
अंत समय आयेंगे , प्रभु काम
जप ले बन्दे , प्रभु का नाम I
क्यूँ न लें , हम प्रभु का नाम
जीते जी मिले , मोक्ष धाम II
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”