शेर

आदत न हो कोई गम,
कभी दिल से लगाने की…
कि मेरी मासूम ये शख़्सियत बनाए रखना…
मुस्कुराकर माफ़ कर दूं,
हर ख़ता जमाने की…
ऐ मेरे मालिक ! मेरी मासूमियत बनाए रखना…
शालिनी राय ‘डिम्पल’✍️
आदत न हो कोई गम,
कभी दिल से लगाने की…
कि मेरी मासूम ये शख़्सियत बनाए रखना…
मुस्कुराकर माफ़ कर दूं,
हर ख़ता जमाने की…
ऐ मेरे मालिक ! मेरी मासूमियत बनाए रखना…
शालिनी राय ‘डिम्पल’✍️