नारी एक क्यारी है
नारी एक क्यारी है
नारी एक क्यारी है
लगती सुंदर, प्यारी है।
चाल निराली है,
लगती गर्म चाय की प्याली है।
ओ किसी की पत्नी
और किसी की साली है।
घर में राज करे
वहीं तो घरवाली है।
सुंदर- सुंदर बच्चे इनके
जैसे बाग – बगीचा के फूल
तभी तो ये क्यारी है;
लगती बड़ी प्यारी है।
सहनशीलता के मूरत
लगती खूबसूरत है।
कही आत्मनिर्भर,
तो कहीं कृष्ण के मीरा है।
कभी महलों में,
तो कहीं राज सिंहासन पर।
आसीन होती बड़ी प्यारी है।
ये आधुनिक युग की नारी है।
हम सब पर भारी है।
जैसे धरती पालनहारी हैं
वैसे हम सबके महतारी हैं
जीवन सफल बना देती है
ऐसी ओ क्यारी है,
लगती बड़ी प्यारी है
हम सबके दुलारी हैं।
कविराज
संतोष कुमार मिरी
रायपुर छत्तीसगढ़।
(अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष)