शोक सभा

घनाछरी छंद
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राज आज नगर के एक बड़े मंडप में,
देख कर सजावट कुछ भ्रांति मन में पल रही।
फूलों की कतारें थीं सुगंध की बहारें थीं,
श्वेत श्याम पट्टियों में बत्तियां थी जल रहीं।
सोलह श्रृंगार कर श्वेत वस्त्र धारण किये,
पधारे थे लोग वहां चाय कॉफी मिल रही।
मैंने पूछा कौनसा हो रहा उत्साह वहाॅं,
बोले यहाॅं लालाजी की शोकसभा चल रही।।
-राजकुमार पाल(राज)