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6 Mar 2025 · 1 min read

या ख़ुदा ये जागते में ख़्वाब कैसा आ गया।

या ख़ुदा ये जागते में ख़्वाब कैसा आ गया।
गेसुओं से झाँकता माहताब जैसे आ गया।
जीस्त बन के महके वो साँसों में इस तरह-
भूले हुए इक वर्क में गुलाब जैसे आ गया।

सुशील सरना

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