① ख़्वाब से जुड़ चुका है इस दरजा,

① ख़्वाब से जुड़ चुका है इस दरजा,
दिल हक़ीक़त को मानता ही नहीं।
② ख़्वाब का सिलसिला नहीं अच्छा,
तुम हक़ीक़त में मुझसे मिल जाओ
③ ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके
मेरी आंखों को नींद आती है।”
④ हिचकियों की कमी बताती है
याद भी तुमको हम नहीं आये
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद