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4 Mar 2025 · 1 min read

① ख़्वाब से जुड़ चुका है इस दरजा,

① ख़्वाब से जुड़ चुका है इस दरजा,
दिल हक़ीक़त को मानता ही नहीं।

② ख़्वाब का सिलसिला नहीं अच्छा,
तुम हक़ीक़त में मुझसे मिल जाओ

③ ख़्वाब में हमसे मिल कभी आके
मेरी आंखों को नींद आती है।”

④ हिचकियों की कमी बताती है
याद भी तुमको हम नहीं आये
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद

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