हम आईंना हैं मुस्कुराते दर्द की तस्वीर के,
हम आईंना हैं मुस्कुराते दर्द की तस्वीर के,
सल्तनत लूटाकर खड़े कतार में फ़क़ीर के,
दर्द का राज़ था मेरे ज़ेहन और जिस्म पर
अब तो बेगम हैं हम इस दर्द की जागीर के,,
हम आईंना हैं मुस्कुराते दर्द की तस्वीर के,
सल्तनत लूटाकर खड़े कतार में फ़क़ीर के,
दर्द का राज़ था मेरे ज़ेहन और जिस्म पर
अब तो बेगम हैं हम इस दर्द की जागीर के,,