पूज के देवी ने,देवी को फिर देवी को पाया है ,
पूज के देवी ने,देवी को फिर देवी को पाया है ,
धन्य है वो जननी जिसने बेटी को जन्माया है
धैर्य है धारण पर्वत सा, माँ की गोद धरा होती
बाँहें खोले तो लगता नभ ने आंचल फैलाया है
पूज के देवी ने,देवी को फिर देवी को पाया है ,
धन्य है वो जननी जिसने बेटी को जन्माया है
धैर्य है धारण पर्वत सा, माँ की गोद धरा होती
बाँहें खोले तो लगता नभ ने आंचल फैलाया है