अधखुली खिड़कियाँ
अधखुली खिड़कियाँ
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उसके मन की
अधखुली खिड़कियाँ
झाँकती हैं
मेरे अंतर्मन को
महसूस करती हैं
हृदय के भाव-तरंगों को
ढूँढती हैं अपने को
उन तरंगों में
खिड़कियों के उस पार से
तरंगित हृदय
बड़ी बेसब्री से ढूँढता है
दूसरी ओर के तरंगित तरंगों को
अनंत बलवती इच्छाओं के साथ।
-अनिल कुमार मिश्र,राँची, झारखंड