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26 Feb 2025 · 1 min read

महादेव 🙏

त्रिनेत्रधारी के नेत्रों में भ्रम का धूल ना झोंक सका
शीश चढ़ाने वाला भी अपना विनाश ना रोक सका

तुम दुध चढ़ाकर सोच रहे, कुकर्मों को धो डालोगे
लगता है कि स्रोत सुनाकर मन के भाव छुपा लोगे

त्रिकालदर्शी भंडारी से जग में क्या भला अछूता है
स्वयं शंभु के आदेशों पर समय प्रति पल चलता है

जल अर्पित करने से पहले मन अर्पित करना होगा
है महादेव की शरण यहां अहं समर्पित करना होगा

शिवशक्ति की भक्ति से जीवन चक्र बदल जाता है
महाकाल की अनुमति से काल भी कदम बढ़ाता है

सच्चे भक्तों का सदैव भक्ति प्रेम स्वीकार हो जाता
बंद आँखों से भी शिवजी का साक्षात्कार हो जाता

भोलेभंडारी कोमल भी कभी इनका रूप भयंकर है
कहाँ ढूँढ़ रहा है मानव तू, हर कंकर कंकर शंकर है

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