तुम वहां चले जहां
तुम वहां चले जहां…
नहीं पहुंचाती है मेरी आवाज़ तुम तक
और ना तुम्हारी कोई खबर आती मुझे तक
तुम वहां चले जहां…
ना मेरे दिल की आहें पहुंचती तुम तक
और ना तुम्हारा कोई ग़म आता मुझ तक
तुम वहां चले जहां…
ना तुम्हारा लौट आना आसान लगता है मुझ तक
और ना मेरा पहुंचना मुमकिन लगता है तुम तक
तुम कहां हो….
ना तुम मिले, ना तुम्हारे निशान अब तक
कहां मिलोंगे मुझे इंतज़ार है मिलने तक
शिव प्रताप लोधी