इश्क की चांदनी, भीगा भागा चाँद

इश्क की चांदनी, भीगा भागा चाँद
स्वच्छंद प्रेम में इज़हार-ए-मोहब्बत का आनंद,
फाग -चैत्र माह में दुगुना हो जाता है,
जहां तनिक भी नेकु स्यानप बांक नहीं, और;
अति सीधो प्रेममार्ग, तजि निज भाव को,
अनुकूल परिस्थिति में करते हैं प्रेम इज़हार।
इश्क की श्वेत-ध्वल चांदनी में करते हैं,
इश्क में मशगूल प्रेमीजन इज़हार-ए-प्रेम,
सुजान प्रिया देती है अपने प्रेम की स्वीकृति,
दोनों बिम्ब -विधान और प्रतीक बन जाते हैं,
इश्क की चांदनी और भीगा-भागा चाँद का।
फाल्गुन माह प्रकृति की सुंदरता का माह है,
जल से भरपूर नदियाँ और पीले सरसों के खेत,
हिमाच्छादित पर्वत चोटियां, अनायास ही,
प्रेमी हृदय को द्रवित कर जाती हैं,
फाल्गुन में बूढ़ा देवर भी जवां लगता है।
फाल्गुन में इश्कबाजी का माहौल होता है,
पतंग कटते कब इश्क का टिकट कट जाए?,
इस बात का पता हो नहीं चलता, इसलिए;
अपने आप को संभालते रहिए जनाब, और,
अगर नहीं संभले को खैरियत की दुआ करेंगे।