तक तक राह प्नियतम नयन हारे
तक तक राह प्नियतम नयन हारे
अलसाई अंखियाँ बस तुम्हें निहारे
सावनभादों बरसे अब बसंत आया
तुम न आये मन.चातक तुम्हें पुकारे।
पाखी
तक तक राह प्नियतम नयन हारे
अलसाई अंखियाँ बस तुम्हें निहारे
सावनभादों बरसे अब बसंत आया
तुम न आये मन.चातक तुम्हें पुकारे।
पाखी