नववर्ष के इस दिन हमें

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तुम लग रहे हो बहुत हसीन, नववर्ष के इस दिन हमें।
हम रच रहे हैं छंद यह, तुम्हारी आज तारीफ में।।
तुम लग रहे हो बहुत हसीन————————।।
चन्दन सा तेरा रूप है, चेहरा है चांद सा सच्चा।
मुखड़े पे तेरे तिल है जो, लगता है हमको बहुत अच्छा।।
मुस्कान है फूलों जैसी तेरी, कशिश है तेरे हुस्न में।
तुम लग रहे हो बहुत हसीन——————-।।
होने लगा है हमें भी नशा, देखकर यह तेरी सूरत।
दुल्हन बनायेंगे तुमको हम, मोहब्बत की हो तुम मूरत।।
दिल की पनाह है जुल्फें तेरी, तुम बस गई हो इस दिल में।
तुम लग रहे हो बहुत हसीन————————।।
हमको पसंद है तेरी हर अदा, नहीं कोई शिकायत तुमसे।
हम है वफ़ा तुमसे दिल से, तुम भी वफ़ा रहना हमसे।।
पसंद आ गई हमको मोहब्बत तेरी, ना और कोई चाह हमें।
तुम लग रहे हो बहुत हसीन————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)