*”नमामि देवी नर्मदे”*

“नमामि देवी नर्मदे”
नमामि देवी हर हर नर्मदे करते तुम्हें नमन।
शिव के पसीने से प्रगटी हो करें आत्मचिंतन।
नर्मदा जल पवित्र पावन जब हो जाये दर्शन।
अदभुत लीला करती, मगरमच्छ इनका वाहन।
अमरकंटक से निकली मेखला की कन्या रेवान।
मध्यप्रदेश की जीवन रेखा वृहद संगम पहचान।
गंगा में डुबकी लगाते,नर्मदा के जब होवे दर्शन।
बहती कलकल छलकते बदलते हुए ये जीवन।
नर्मदा वजूद सौंदर्यता ,हाथ जोड़कर करे वंदन।
पथिकों की प्यास बुझाती दो बूंदों से जीवनदान
नर्मदा का पत्थर ,कंकण, शंकर, कर लो दिव्य दृष्टि से दर्शन।
विशाल हृदय से साक्षात कराती, कर लो पूजन अर्चन।
मानवता अब भ्रष्ट हुई अचानक बदला ये जीवन।
निर्लज्ज मन ये समझ ना पाये, मलीन कर रहा ये जल पावन।
नर्मदा फिर भी बहती रहती ,अंनत जल धाराओं में सघन।
नर्मदा नदी सब जानती है, ले आयेगी एक दिन ये शरीर तनमन।
“नर्मदा जयंती महोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं”
शशिकला व्यास