कविश्वर चंदा झा बनाम भाषाविद ग्रियर्सन: मिथिला भाषा।

कविश्वर चंदा झा बनाम भाषाविद ग्रियर्सन : मिथिला भाषा।
-आचार्य रामानंद मंडल।
कविश्वर चंदा झा के जन्म पिंडारुच (दरभंगा) मे १८३१ई मे आ मृत्यु १९०७ई में भेल रहय।हुनकर मुख्य कृति मिथिला भाषा रामायण (१८९२)हय।परंच मिथिला में हुनकर रामायण के बारे मे मिथिला अंजान हय। इंहा के संत महात्मा आ कथावाचक सेहो अंजान लगैत हय। मिथिला मे एकाह नवाह में संत तुलसीदास कृत रामचरितमानस के पाठ होइए हय जे अवधि में हय।
इतिहास बतबैय हय कि महाकवि विद्यापति के बाद महाकवि चंदा झा मैथिली के विकास में योगदान कैलन।परंच मिथिला के विद्वान हिनका उपेक्षा कैलन।
मैथिली के विकास में अंग्रेज पदाधिकारी भाषाविद ग्रियर्सन के महत्वपूर्ण योगदान हय।हुनकर जन्म१८५१आ मृत्यु १९४१मे भेल रहय।वो १८७०मे भारत अयलन।वो भारतीय भाषा सर्वेक्षण (१८५८) कैलन। सर्वेक्षण रिपोर्ट २१भाग मे हय।जैमैं १७९ भाषा आ ५४४ बोली के विस्तार से वर्णन हय।हुनकर मैथिली साहित्य मे मैथिली ग्रामर (१८८०),सेवेन ग्रामर्स आफ दी डायलेक्ट्स आफ दी बिहारी लैंग्वेज (१८३३-१८८७).
इंहा महत्वपूर्ण इ हय कि वर्तमान मैथिली भाषाविद कहैत हतन कि भाषा के ग्रामर होइ छैय परंच बोली के ग्रामर न होइ छैय। ज्ञातव्य होय कि कालब्रुक मिथिला के भाषा के मैथिली नाम देलन आ जार्ज ग्रियर्सन मैथिली के क्षेत्र निर्धारण केलन।
कहल जाइत हय कि महाकवि चंदा झा मैथिली के क्षेत्र आ भाषा -बोली के निर्धारण मे जार्ज गिरियर्सन के भारी सहयोग कैलन।परंच प्रश्न उठय कि जौ मिथिला के भाषा के नाम मैथिली निर्धारित हो गेल रहय त महाकवि चंदा झा अपन कृति रामायण के नाम मिथिला रामायण आ मैथिली रामायण के बदले मिथिला भाषा रामायण काहे रखलन।कि हुनका लगलैन कि मिथिला के भाषा मैथिली कुछ वर्ग के भाषा हय। वास्तव मे मिथिला के भाषा मिथिला भाषा त बहुसंख्यक के भाषा हय। मिथिला भाषा रामायण मिथिला के भाषा( मैथिली , अंगिका, बज्जिका, सुरजापुरी आदि) अर्थात मिथिला भाषा के परिचायक हय।
@आचार्य रामानंद मंडल सीतामढ़ी।