परछाई
परछाई बनकर जियो कभी
आकृति से ज्यादा अस्तित्व नहीं
ना भाव भंगिमा, ना रूप रंग
जुड़े जिससे, बस चलो उसी के संग
अपना कहने को कुछ भी नहीं
परछाई बनकर जियो कभी
चित्रा बिष्ट
परछाई बनकर जियो कभी
आकृति से ज्यादा अस्तित्व नहीं
ना भाव भंगिमा, ना रूप रंग
जुड़े जिससे, बस चलो उसी के संग
अपना कहने को कुछ भी नहीं
परछाई बनकर जियो कभी
चित्रा बिष्ट