जब एक इंसान ख़ुद को “महत्वपूर्ण” मान लेता है तो स्वतः ही वो
जब एक इंसान ख़ुद को “महत्वपूर्ण” मान लेता है तो स्वतः ही वो स्वयं को अनगिनत बेफिजूल के कार्यों की जिम्मेदारी भी दे देता है
और यहीं स्वयं को दी गई “अनवांटेड जिम्मेदारी” उसे भीतर ही भीतर दीमक की तरह खोखली करती जाती है,
ख़ुद को इतना महत्वपूर्ण मत समझो वरना तुम ढंग से जी भी नहीं पाआगे इस दुनिया में,
तुम्हें क्यों परवाह करनी है इस पूरी दुनिया की, पहले तुम ख़ुद की परवाह करना सीखों..