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19 Dec 2024 · 1 min read

क्या तुम मुझको भूल पावोगे

मेरा यह प्यार और तुमसे अपनापन,
तुम्हारी खुशी के लिए भगवान से मांगी मुरादें,
क्या तुम यह भूल पावोगे।

तुम्हारे लिए छोड़ा मैंने स्वार्थ सारा,
हवाओं की मौज और अपने सुखों की सेज,
तुम्हारे सपनें साकार करने के लिए,
क्या तुम यह भूल पावोगे।

क्योंकि मैंने जलाया है चिराग,
मैंने लगाया है एक गुलशन,
मैंने संजाये हैं सितारें,
मैंने बनाई है तेरी यह तस्वीर,
मैंने रची है तेरी यह दुनिया,
भूलकर अपने हित और दुःख,
तुम्हारी जिंदगी सजाने के लिए,
क्या तुम यह भूल पावोगे।

मैंने दिया है साथ जो तुम्हारा,
तुम्हारे दुःख के क्षणों में,
और तुमको हंसाया है उस वक़्त,
जब तुम्हारी आँखों में आँसू थे,
क्या तुम मुझको भूल पावोगे।

गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
(शिक्षक एवं साहित्यकार)
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
36 Views

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