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6 Nov 2024 · 1 min read

*******अधूरे अरमान*******

*******अधूरे अरमान*******
*************************

जीने के अधूरे अरमाण बाकी है।
टूटे से घर में सामान बाकी है।

मिली वो उस मोड़ पर कमसिन,
उन्हें पाने का फरमान बाकी है।

मिलन की तड़फ दिल में समाई,
जरिया बने वो अरकान बाकी है।

दरिया में बह जाए हमारे सपने,
होना अभी वो नुकसान बाकी है।

आकर लगे वो मनसीरत कलेज़े,
चेहरे पर आनी मुस्कान बाकी है।
**************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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