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31 Oct 2024 · 1 min read

sp102 ईश्वर ने इतना दिया

sp102 ईश्वर ने इतना दिया
**********************

ईश्वर ने इतना दिया हमें रहता कोई भी अतृप्त नहीं
मानव परम पिता का तक आभार भी करता व्यक्त नहीं

पास पड़ोसी के इतना है मुझको उससे ज्यादा पाना है
साधन सुख सुविधाओं से मानव मन होता तृप्त नहीं
@
बहुत दूर जाने की भावना निकल रही है अंतर्मन से
किसकी मंजिल कब आएगी नहीं पता दुनिया में किसी को

सफर चल रहा है यहां निरंतर सुबह दोपहर शाम रात है
परम पिता ने उस अदृश्य ने शायद पकड़ा मेरा हाथ है

जहां-जहां वो ले जाएगा उसके साथ चले जाएंगे
हम हैं मुसाफिर वह पथ दर्शक उस मंजिल तक पहुंच जाएंगे

कितने ग्रह कितने नक्षत्र हैं जिनसे यह ब्रह्मांड भरा है
कण -कण में उसकी सत्ता है हर जीवन वह चला रहा है
@
डॉक्टर इंजीनियर
मनोज श्रीवास्तव
sp, 102

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