सस्ते नशे सी चढ़ी थी तेरी खुमारी।
बस तेरे हुस्न के चर्चे वो सुबो कार बहुत हैं ।
मेरा ग़म
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
देख रे भईया फेर बरसा ह आवत हे......
परमारथ कर प्राणिया, दया धरम अर दान।
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
तेरा नाम रहेगा रोशन, जय हिंद, जय भारत
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
***************गणेश-वंदन**************
मेरे चेहरे से ना लगा मेरी उम्र का तकाज़ा,