Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2024 · 1 min read

शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll मजबूर कम, मक्कार ज्य

शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll मजबूर कम, मक्कार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
गलतियां गलती से, गुनाह शौक से करते हैं, गलत कम, गुनहगार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
झूठ बोलने की किसी बीमारी से ग्रसित हैं, बहादुर कम, बीमार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
घमंड इतना की खुद को अमर समझ रहे हैं, आदमी कम, अवतार ज्यादा हो गए हैं लोग llआदमी कम, अवतार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
अपनी अश्लीन हरकतों को अदाकारी कहते हैं, काबिल कम, कलाकार ज्यादा हो गए हैं लोग ‌ll

58 Views

You may also like these posts

दीवानों की चाल है
दीवानों की चाल है
Pratibha Pandey
"असल बीमारी"
Dr. Kishan tandon kranti
ख्वाँबो को युँ बुन लिया आँखो नें ,
ख्वाँबो को युँ बुन लिया आँखो नें ,
Manisha Wandhare
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...
कौन कहता है कि लहजा कुछ नहीं होता...
डॉ. दीपक बवेजा
धड़कन हिन्दुस्तान की.........
धड़कन हिन्दुस्तान की.........
sushil sarna
तूफ़ान कश्तियों को , डुबोता नहीं कभी ,
तूफ़ान कश्तियों को , डुबोता नहीं कभी ,
Neelofar Khan
3732.💐 *पूर्णिका* 💐
3732.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
- राहत -
- राहत -
bharat gehlot
आप नौसेखिए ही रहेंगे
आप नौसेखिए ही रहेंगे
Lakhan Yadav
बोल मजीरा
बोल मजीरा
कुमार अविनाश 'केसर'
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
बुंदेली दोहे- कीचर (कीचड़)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
बूंद बूंद से सागर बने
बूंद बूंद से सागर बने
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
शायरी की राह
शायरी की राह
Chitra Bisht
कविता
कविता
Rambali Mishra
प्रेम पथिक
प्रेम पथिक
Jai Prakash Srivastav
सत्य की खोज
सत्य की खोज
MEENU SHARMA
हर पल एक नया ख़्वाब दिखाती है ज़िंदगी,
हर पल एक नया ख़्वाब दिखाती है ज़िंदगी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
सफर में चाहते खुशियॉं, तो ले सामान कम निकलो(मुक्तक)
Ravi Prakash
मिल गया
मिल गया
Arvind trivedi
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
बड़ी मादक होती है ब्रज की होली
कवि रमेशराज
रोक दो ये पल
रोक दो ये पल
Surinder blackpen
हमने देखा है हिमालय को टूटते
हमने देखा है हिमालय को टूटते
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Forget and Forgive Solve Many Problems
Forget and Forgive Solve Many Problems
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
कहां गए बचपन के वो दिन
कहां गए बचपन के वो दिन
Yogendra Chaturwedi
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
कभी बहुत होकर भी कुछ नहीं सा लगता है,
Sunil Maheshwari
मन खग
मन खग
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
सच्चा प्यार
सच्चा प्यार
Mukesh Kumar Sonkar
दुर्गा भाभी
दुर्गा भाभी
Dr.Pratibha Prakash
Umbrella
Umbrella
अनिल मिश्र
ऐ ज़िंदगी
ऐ ज़िंदगी
Shekhar Chandra Mitra
Loading...