*प्रभु का संग परम सुखदाई (चौपाइयॉं)*
होता है तेरी सोच का चेहरा भी आईना
*तन मिट्टी का पुतला,मन शीतल दर्पण है*
चलो जिंदगी की नई शुरुआत करते हैं
ग़म बहुत है दिल में मगर खुलासा नहीं होने देता हूंI
तुझे पाने की तलाश में...!
singh kunwar sarvendra vikram
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
दुनिया हो गयी खफा खफा....... मुझ से
नारी के बिना जीवन, में प्यार नहीं होगा।
माना तुम रसखान हो, तुलसी, मीर, कबीर।
"सर्व धर्म समभाव"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
यूं तुम से कुछ कहना चाहता है कोई,
वो शिकायत भी मुझसे करता है
लोग जब सत्य के मार्ग पर ही चलते,
क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से...!
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
तुम-सम बड़ा फिर कौन जब, तुमको लगे जग खाक है?
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक