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21 Sep 2024 · 1 min read

जितनी लंबी जबान है नेताओं की ,

जितनी लंबी जबान है नेताओं की ,
उतने तो उनके सुधारवादी कार्य नहीं ।
बखान करते फिरते गली गली में अपना ,
अपना बखान करने की आदत कभी जायेगी नहीं ।
अपनी अपनी दुकान खोलके बैठे है ,
अपने वायदों और एजेंडों की ।
क्या समझते हैं खुद को ,जनता मूर्ख है !
अजी हुजूर ! काठ की हांडी बार बार आग पर अब चढ़ेगी नहीं ।

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Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
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