फ़िलहाल देश को सबसे बड़ी ज़रुरत समर्थ और सशक्त विपक्ष की।
कमबख्त़ तुम याद बहुत आती हो....!
singh kunwar sarvendra vikram
एक ऐसी रचना जो इस प्रकार है
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
सर्दी में जलती हुई आग लगती हो
हजार वेळां हारणौ पड़ै है
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
तुझे गुरूर था तेरे पास लाखो दीवाने है।
लिफाफा देखकर पढ़ते
अटल मुरादाबादी(ओज व व्यंग्य )
"गलतियों का कठपुतला हूंँ मैं ll
सर्द और कोहरा भी सच कहता हैं
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं