बेटियों को मुस्कुराने दिया करो
शीर्षक :वीर हो (उल्लाला छंद)
आपने जो इतने जख्म दिए हमको,
sp33 हर मानव एक बूंद/ आशा और निराशा
कौन है, राह गलत उनको चलाता क्यों है।
हर घड़ी ज़िन्दगी की सुहानी लिखें
मेरे हमदर्द मेरे हमराह, बने हो जब से तुम मेरे
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
कर्म का फल भाग - 1 रविकेश झा
हम दीपावली मनाएँगे (बाल कविता)
मुझे मालूम हैं ये रिश्तों की लकीरें