Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Aug 2024 · 1 min read

हम क्या चाहते?

खो कर सारा आसमान
बस चांद कमाना हम नहीं चाहते ।।
जीतना चाहते हैं हर किसी से
पर किसी को हराना नहीं चाहते।।
जिसने मुझे दुनिया दी
उसको पूरी दुनिया घुमाना चाहते ।।
जो कारण है मेरी हर खुशी का
उसे दुख का कांटा भी चुभाना नहीं चाहते।।
जो साया है मेरी उजली परछाई का
उसका काला तिल भी बनना नहीं चाहते।।
जिसने मेरी इच्छाओं को अपनी जरूरत मानकर पूरा किया
उसे दुनिया की हर खुशी दिलाना चाहते।।
मेरे चेहरे की मुस्कान है जो
उसकी आंख से एक भी आंसू गिराना नहीं चाहते।।
जो धड़कता है हर पल मेरे दिल और दिमाग में
उसको अब और तड़पाना नहीं चाहते
मेरी मंजिल तो आसमान है
अब बस इसी को पाना चाहते।।

81 Views

You may also like these posts

जब से यार सलूक
जब से यार सलूक
RAMESH SHARMA
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
पूर्वार्थ
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
पिता
पिता
GOVIND UIKEY
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
होली है !!!
होली है !!!
Shyam Vashishtha 'शाहिद'
ગુસ્સો
ગુસ્સો
Iamalpu9492
4617.*पूर्णिका*
4617.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
महानायक दशानन रावण/ mahanayak dashanan rawan 01 by karan Bansiboreliya
महानायक दशानन रावण/ mahanayak dashanan rawan 01 by karan Bansiboreliya
Karan Bansiboreliya
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
gurudeenverma198
"फसलों के राग"
Dr. Kishan tandon kranti
टूट जाते हैं वक़्त आने पर,
टूट जाते हैं वक़्त आने पर,
Dr fauzia Naseem shad
हौसला क़ायम रखना
हौसला क़ायम रखना
Shekhar Chandra Mitra
वाचाल
वाचाल
Rambali Mishra
कैसे यक़ीन दिलाऊं कि मैं तो बस तेरा हूॅं...
कैसे यक़ीन दिलाऊं कि मैं तो बस तेरा हूॅं...
Ajit Kumar "Karn"
*संस्कारों की दात्री*
*संस्कारों की दात्री*
Poonam Matia
भगवता
भगवता
Mahender Singh
*बच्चे-जैसे हम बनें, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
*बच्चे-जैसे हम बनें, प्रभु जी दो वरदान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
दरार
दरार
D.N. Jha
क़ुदरत : एक सीख
क़ुदरत : एक सीख
Ahtesham Ahmad
#पितरों की आशीष
#पितरों की आशीष
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से...!
क़त्ल होंगे तमाम नज़रों से...!
पंकज परिंदा
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
आधुनिक टंट्या कहूं या आधुनिक बिरसा कहूं,
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी
बिछड़ गए साथी सब
बिछड़ गए साथी सब
SATPAL CHAUHAN
द़ुआ कर
द़ुआ कर
Atul "Krishn"
प्रकाशोत्सव
प्रकाशोत्सव
Madhu Shah
रिश्ते
रिश्ते
Ruchika Rai
बेटी
बेटी
अनुराग दीक्षित
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
आंसूओ को इस तरह से पी गए हम
Nitu Sah
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,
मां को शब्दों में बयां करना कहां तक हो पाएगा,
Preksha mehta
Loading...