मित्रता अमर रहे
मित्रता अमर रहे
मित्रता अमर रहे सदैव प्रेम भाव हो।
साथ हो स्वभाव प्यार सत्य वृत्ति छांव हो।
व्यष्टि में समष्टि दिव्य दृष्टि काम्य गांव हो।
रोम -रोम में सदैव मित्रता की नाव हो।
मेलजोल उर्मिला शतायु दीर्घ मित्रता।
नेत्र में विनम्रता सदैव गन्ध इत्रता।
ग्राह्य एक मात्र हो विशिष्ट सिन्धु प्रेमिका।
जीतती रहे सदैव प्रीति बोध धारिका।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।