Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jul 2024 · 1 min read

*शीतल शोभन है नदिया की धारा*

शीतल शोभन है नदिया की धारा
***************************

शीतल शोभन है नदिया की धारा,
निर्मल नीरज सी नदिया की धारा।

लहराती बलखाती बहती जाये,
दरिया जा मिलती नदिया की धारा।

चुपके-चुपके गिरि गर्भ से निकली,
चंचल कंचन सी नदिया की धारा।

छू कर लहरें मन मंदिर सा हो जाये,
तन-मन ललचाती नदिया की धारा।

टेढ़ी-मेढी नागिन सी बढ़ती पथ पर,
जल थल मचलती नदिया की धारा।

मनसीरत निर्झरनी पहाड़ों की रानी,
मोहिनी सी मूर्त है नदिया की धारा।
****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 299 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

मौत की कहानी (ग़ज़ल)
मौत की कहानी (ग़ज़ल)
ओनिका सेतिया 'अनु '
अब खोटे सिक्के भी उछाले जा रहे हैं खेल में,
अब खोटे सिक्के भी उछाले जा रहे हैं खेल में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के हारे हार है
मन के हारे हार है
Vivek Yadav
जीवनमंथन
जीवनमंथन
Shyam Sundar Subramanian
विश्वासघात से आघात,
विश्वासघात से आघात,
लक्ष्मी सिंह
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -188 से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ये जाने कौन?
ये जाने कौन?
शिवम राव मणि
किसान
किसान
Dinesh Kumar Gangwar
خون پسینے میں ہو کر تر بیٹھ گیا
خون پسینے میں ہو کر تر بیٹھ گیا
अरशद रसूल बदायूंनी
बढ़ती उम्र के कारण मत धकेलो मुझे,
बढ़ती उम्र के कारण मत धकेलो मुझे,
Ajit Kumar "Karn"
ज़िन्दगी! कांई कैवूं
ज़िन्दगी! कांई कैवूं
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
*चक्की चलती थी कभी, घर-घर में अविराम (कुंडलिया)*
*चक्की चलती थी कभी, घर-घर में अविराम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
माँ
माँ
Shashi Mahajan
सागर ने जब जब हैं  हद तोड़ी,
सागर ने जब जब हैं हद तोड़ी,
अश्विनी (विप्र)
अजीब उम्र है... खुद का पता नहीं और
अजीब उम्र है... खुद का पता नहीं और
Ranjeet kumar patre
बदलती दुनियां
बदलती दुनियां
Lokesh kochle aka Lankesh
बे’क़रारी से राब्ता रख कर ,
बे’क़रारी से राब्ता रख कर ,
Dr fauzia Naseem shad
4080.💐 *पूर्णिका* 💐
4080.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
दो-दो कुल की मर्यादा हो...
दो-दो कुल की मर्यादा हो...
आकाश महेशपुरी
सपने ....
सपने ....
sushil sarna
"हर कोई अपने होते नही"
Yogendra Chaturwedi
What can you do
What can you do
VINOD CHAUHAN
आओ बोलें
आओ बोलें
Arghyadeep Chakraborty
निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,
निगाहें मिलाकर चुराना नहीं है,
डी. के. निवातिया
॥॰॥॰॥॰॰आतिथि आगमन॰॰॥॰॥॰॥
॥॰॥॰॥॰॰आतिथि आगमन॰॰॥॰॥॰॥
Dr. Vaishali Verma
शराफत
शराफत
Dr. Akhilesh Baghel "Akhil"
दीपावली
दीपावली
surenderpal vaidya
* मैं अभिमन्यु *
* मैं अभिमन्यु *
भूरचन्द जयपाल
यूँ तो हमें
यूँ तो हमें
हिमांशु Kulshrestha
Loading...