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23 Jul 2024 · 1 min read

*शीतल शोभन है नदिया की धारा*

शीतल शोभन है नदिया की धारा
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शीतल शोभन है नदिया की धारा,
निर्मल नीरज सी नदिया की धारा।

लहराती बलखाती बहती जाये,
दरिया जा मिलती नदिया की धारा।

चुपके-चुपके गिरि गर्भ से निकली,
चंचल कंचन सी नदिया की धारा।

छू कर लहरें मन मंदिर सा हो जाये,
तन-मन ललचाती नदिया की धारा।

टेढ़ी-मेढी नागिन सी बढ़ती पथ पर,
जल थल मचलती नदिया की धारा।

मनसीरत निर्झरनी पहाड़ों की रानी,
मोहिनी सी मूर्त है नदिया की धारा।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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