बनारस की धारों में बसी एक ख़ुशबू है,
मुझे पढ़ना आता हैं और उसे आंखो से जताना आता हैं,
ज्यादा खुशी और ज्यादा गम भी इंसान को सही ढंग से जीने नही देत
विश्व पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
हमारी तकदीर कोई संवारेगा!
राष्ट्रहित में मतदान करें
हम उनकी भोली सूरत पर फिदा थे,
ना मालूम क्यों अब भी हमको
ना आसमान सरकेगा ना जमीन खिसकेगी।
कहाँ गइलू पँखिया पसार ये चिरई
सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा
शराब नहीं पिया मैंने कभी, ना शराबी मुझे समझना यारों ।
ख़ुद-बख़ुद टूट गया वक़्त के आगे बेबस।
हुस्न वाले उलझे रहे हुस्न में ही