*दुख का दरिया भी पार न होता*
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
कुछ बेशकीमती छूट गया हैं तुम्हारा, वो तुम्हें लौटाना चाहता हूँ !
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लाख बुरा सही मगर कुछ तो अच्छा हैं ।
चरणों में सौ-सौ अभिनंदन ,शिक्षक तुम्हें प्रणाम है (गीत)
तारीख देखा तो ये साल भी खत्म होने जा रहा। कुछ समय बैठा और गय
(1ग़ज़ल) बंजर पड़ी हैं धरती देखें सभी नदी को
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)