Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
28 May 2024 · 1 min read

मेरा घर

वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है
वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है

संघर्षों से लड़कर विजयी होना
स्नेह मात पिता का सिखाता है
ये भाई बहन का प्यार भी देखो
प्रीत की नई परिभाषा गढ़ता है
जहां प्रेम दादा दादी का और
बच्चों का कलरव गूंजता हो
वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है…

जीवन रूपी धूप में शीतल छाया
मेरी मां का आंचल है
सत्य मार्ग पर चलना सिखाता
मेरे पिता का संबल है
जहां राष्ट्रप्रेम की अलख
संस्कृति को अपने में समेटे हो
वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है…

उंगली पकड़ दादा की अपने
पहला कदम जहां रखा है
दादी की किस्से कहानियों में
अपने को हरदम ढूंढा है
निस्वार्थ भाव से दादा-दादी
जहां प्रेम रस घोलते हों
वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है…

नाना नानी के घर की बातें
कैसे सबको बतलाऊं मैं
वह स्नेह प्रेम मस्ती की बातें
कैसे भला भूल जाऊं मैं
जहां झाबा भर भर आम और
पूरी सब्जी जलेबी मिलती हो
वह मेरा घर मेरा प्यारा सा घर है…

इति

इंजी संजय श्रीवास्तव
बीएसएनएल, बालाघाट, मध्यप्रदेश

Loading...