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18 May 2024 · 1 min read

कवि के हृदय के उद्गार

लोग कहते हैं कैसे बनती है कविता ?
हृदय के उद्गार से कैसे निकलती है कविता?

अचानक ह्रदय में भावनाओं का ऐसा तूफान आता है,
कितना भी रोका जाए रुक न वो पाता है।

लेखनी में उतरकर अपनी छाप छोड़ जाता है,
अंतर्मन की आपबीती साफ – साफ कह जाता है।

कविता करते समय कवि हृदय लोक में जब जाता है,
तन – बदन की सुध – बुध सब कुछ भूल जाता है।

रात हो या दिन लेखनी का कोई समय नहीं,
भावों के हड़कंप समक्ष तुम्हारा कुछ वश है नही।

समस्त कार्य पीछे छोड़ अपना ही चलाते हैं ये,
मोती जैसे शब्द चुन -चुन कविता सजाते हैं ये।

अनामिका तिवारी ‘ अन्नपूर्णा ‘

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