Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 May 2024 · 1 min read

पिता

मां तो मां होती हैं, पर पिता का क्या?
मां पे तो सब कविता बनाते हैं,
पर पिता कभी किसी को याद क्यों नहीं आते हैं|
सच कहूं तो पिता वो कलाकार हैं, जो हमेशा परदे के पिछे रहता हैं|
न कभी किसी को दिखता हैं, न कभी किसी के सामने आता हैं|
क्यो कि पिता तो पिता ही होता हैं……
मां वृक्ष की छाया हैं, तो पिता वो वृक्ष हैं,
मां घर का मांगल्य हैं, तो पिता घर का अस्तित्व हैं, मां घर का कलश हैं, तो पिता वो नींव हैं, जो घर को मजबूत करने के लिए खुद को जमीन मैं गाढ लेता हैं|
क्यों कि पिता तो पिता ही होता हैं………
मां दियें की वो लहराती ज्योत हैं, जो सबको उजाला देती हैं, लेकिन उस लहराती ज्योत को प्रज्वलित रखने के लिए जो तपता हैं वो दिया मतलब पिता हैं|
क्यो कि पिता तो पिता ही होता हैं…….
एक पिता चार चार बच्चों को संभालता हैं,
लेकिन चार बच्चे एक पिता को नहीं संभाल पाते,
उलटा उन्हीं से पुछते हैं कि आपने हमारे लिए किया ही क्या हैं, लेकीन फिर भी वो चुप रहता हैं,
क्यो कि पिता तो पिता ही होता हैं…..

Loading...