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20 Apr 2024 · 1 min read

दोहावली

दोहावली

द्रवित हुए दृग द्वार से, अंतस के उद्गार ।
दर्द अनेकों दे गए, छलिया के अभिसार ।।

मन में मौसम प्यार का, छोड़ो भी इंकार ।
समझो अंतस मौन में , धड़कन की मनुहार ।।

हुआ नैन का नैन से, मौन प्रणय संवाद ।
दिल में मचले रात भर, उल्फत के उन्माद ।।

गौर वर्ण पर स्वेद की, बूँदें करें कमाल ।
भानु ताप से हो गए, रक्तिम गौरे गाल ।।

सुशील सरना / 20-4-24

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