Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Mar 2024 · 1 min read

अच्छा लगता है

बस क्या बोलू अच्छा लगता है…
अच्छा लगता है जब तू मुस्काती है
अच्छा लगता है जब तू इठलाती है
अच्छा लगता है जब तू गीत गुनगुनाती है
अच्छा लगता है जब तेरी आँखें बतलाती है
अच्छा लगता है ख्वाबों में तेरा यूँ आना
अच्छा लगता है तेरा ख़ुशी से चहचहाना
अच्छा लगता है जब तू हक़ जताती है
अच्छा लगता है जब तू दिन की बातें बताती है
अच्छा लगता है तेरी आँखों में डूब जाना
अच्छा लगता है तेरे रुख से सारा ज़माना
अच्छा लगता है जब नींद में भी तू आती है
अच्छा लगता है जब तू बेबाक इश्क़ जताती है
तेरी बातों से निकली बातें भी अच्छी
तेरी आदाओं का अल्हड़पन भी अच्छा
तेरी मुस्कान से निकली ईशा भी अच्छी
तेरी आँखों से चढ़ा नशा भी अच्छा
तेरा बुरा भी अच्छा
तेरा अच्छा भी अच्छा
तेरा झूठा भी अच्छा
तेरा सच्चा भी अच्छा
तेरा क्रोध भी अच्छा
तेरा प्रेम भी अच्छा
तेरी मासूमियत भी अच्छी
तेरा नटखटपन भी अच्छा
तेरा हर भाव ही अच्छा लगता है
तेरा तो स्वाभाव ही अच्छा लगता है
अच्छा लगता है जब दिल तुझे याद करता है
अच्छा लगता है जब मन तेरा ज़िक्र करता है
अच्छा लगता है जब तेरे बारे में लिखता हूँ
अच्छा लगता है जब तेरा चिंतन करता हूँ
तेरा मेरी कविता में होना अच्छा लगता है
तुझे सोच होश खोना अच्छा लगता है
शब्दों में बयां न कर सकता कितना अच्छा लगता है
बस क्या बोलू अच्छा लगता है…. बस अच्छा लगता है

Language: Hindi
152 Views

You may also like these posts

संवेदना
संवेदना
Anuja Kaushik
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
जरूरी नहीं की हर जख़्म खंजर ही दे
Gouri tiwari
यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता
यहां बिना कीमत कुछ नहीं मिलता
पूर्वार्थ
"सपनों का सफर"
Pushpraj Anant
काजल
काजल
Neeraj Agarwal
*** पुद्दुचेरी की सागर लहरें...! ***
*** पुद्दुचेरी की सागर लहरें...! ***
VEDANTA PATEL
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
राजनीति में इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि क्या मूर्खता है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
3014.*पूर्णिका*
3014.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मैं रीत लिख रहा हूँ
मैं रीत लिख रहा हूँ
कुमार अविनाश 'केसर'
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
मसला ये हैं कि ज़िंदगी उलझनों से घिरी हैं।
ओसमणी साहू 'ओश'
पदावली
पदावली
seema sharma
क्युँ हरबार ये होता है ,
क्युँ हरबार ये होता है ,
Manisha Wandhare
मसीहा उतर आया है मीनारों पर
मसीहा उतर आया है मीनारों पर
Maroof aalam
आओ फिर से हम बिछड़ते हैँ
आओ फिर से हम बिछड़ते हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इश्क़ में  क्या अज़ाब है साहिब,
इश्क़ में क्या अज़ाब है साहिब,
पंकज परिंदा
#आज_का_मुक्तक
#आज_का_मुक्तक
*प्रणय*
होली पर दोहे
होली पर दोहे
आर.एस. 'प्रीतम'
उद्गार किया उपकार किया,
उद्गार किया उपकार किया,
श्याम सांवरा
आई होली आई होली
आई होली आई होली
VINOD CHAUHAN
इन सर्द रास्तों पर
इन सर्द रास्तों पर
हिमांशु Kulshrestha
*अपने गुट को अच्छा कहना, बाकी बुरा बताना है (हिंदी गजल)*
*अपने गुट को अच्छा कहना, बाकी बुरा बताना है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
न मौत आती है ,न घुटता है दम
न मौत आती है ,न घुटता है दम
Shweta Soni
सैनिक का खत।
सैनिक का खत।
Abhishek Soni
रुख बदल गया
रुख बदल गया
Sumangal Singh Sikarwar
मुकम्मल आसमान .....
मुकम्मल आसमान .....
sushil sarna
"बात सौ टके की"
Dr. Kishan tandon kranti
पुष्प का अभिमान
पुष्प का अभिमान
meenu yadav
काश
काश
Mamta Rani
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
फन कुचलने का हुनर भी सीखिए जनाब...!
Ranjeet kumar patre
इंतिज़ार
इंतिज़ार
Shyam Sundar Subramanian
Loading...