कस्तूरी पहचानो मृग
तुमने पाया है मनुज देह
अपने को तुच्छ न मानो मृग
तुम कस्तूरी पहचानो मृग,
सब भरा तुम्हारे भीतर ही
बेकार की खाक़ न छानो मृग
तुम कस्तूरी पहचानो मृग,
ये साथ नहीं जाने वाला
संसार वृथा ही जानो मृग
तुम कस्तूरी पहचानो मृग,
अब बारी है प्रतिउत्तर की
कुछ कर सकने की ठानो मृग
तुम कस्तूरी पहचानो मृग,
प्रवचन, भाषण, उपदेश तजो
अब कर्म का तंबू तानो मृग
तुम कस्तूरी पहचानो मृग