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27 Feb 2024 · 1 min read

बादशाह

रोग से पहले इंसान मर जाएगा गरीबी से।
दवा किस काम आएगी जो मौत सिर पर छाएगी।
बिना निवाले के ये तन बेकल है।
गरीबी देश में सुरसा की तरह मुंह फैलाए फैली है।
अरबों खरबों खर्च करके नेता लोग कर रहे यहां रैली है।
लोक लुभावने वादे करना हर नेताओ की शैली है।
है भारत भ्रष्टाचार में संलिप्त।
केरल में साइलेंट वैली है।
एक नाम है केवल आसमां पर।
पर खाली है जमीं हर शान से।
जमीर बेचे बैठे है लोग यहां पैसे पर।
इज्जत भी बिक रही यहां।
उनके इजाजत से यहां सारा काम हो रहा है।
कहने को तो सब शरीफ है।
पर वही बदनाम है शराफत के शहर में।
गुंडागर्दी, गर्मी में भी सर्दी रौब का कुंहासा है।
यहां अपने आपमें सब बादशाह है।
रोज रोज यहां होता हादसा है।
कहे आनंद ये जग एक तमाशा है।
पलटता हर क्षण वक्त का पासा है।
कोई खा रहा राजभोग ।
तो कोई खा रहा बताशा है।
ये दुनिया है छीनने वालों की।
यहां अधिकार मांगने वालों की बुरी हालत है।
यहां ख़ुद का अस्तित्व ज़माने को।
सब कर रहे अपनी वकालत है।
सर्राफा बाजार का चलन है आजकल।
हो जिसके जेब में उसी के जज और अदालत है।

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