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22 Feb 2024 · 1 min read

विषय:आदमी सड़क पर भूखे पड़े हैं।

विषय:आदमी सड़क पर भूखे पड़े हैं।
शीर्षक:बेरहम
विद्या:कविता

आज का इंसान,भूलने लगा इंसानियत।
लोभी बन गई,उसकी नियत।

कदम-कदम पर बस, अपना ही मतलब हुआ।
नुकसान दूसरों का,
फायदा बस अपने तलक हुआ।

कहीं बैंक में रखे,पैसे सड़े हैं।
कहीं आदमी सड़क पर, भूखे पड़े हैं।
आज के इंसान,स्वार्थी चक्कर में पड़े हैं।
बनकर बेरहम,दूसरे
को लूटने पर अड़े हैं।
पाप देखकर भी,चुपचाप खड़े हैं।

कानून तो सही हैं,पर लोग मानते नही हैं।
अहंकार में डूबकर,सत्य को जानते नहीं हैं।

भगवान के इंसान आज,
पापी,बेरहम बन गए।
भूलकर इज्जत;
शर्म,बेशर्म बन गए।

न आदमी में अब दया रही,न प्यारे जज़्बात रहे।
न अब वो लोग रहे,न वो हालात रहे।

आदमी को,आदमी के लिए फ़ुर्सत नहीं।
जब बने इंसान बेरहम,
तो रहता रहम नहीं।

प्रिया प्रिंसेस पवाँर
Priya princess Panwar
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
सर्वाधिकार सुरक्षित

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