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17 Feb 2024 · 1 min read

*** नर्मदा : माँ तेरी तट पर…..!!! ***

“”” माँ…! तेरी रचना का ही…
मैं एक आकार हूँ…!
तेरी अतुल्य ममता में ही पल्लवित…
मैं एक अलंकार हूँ…!
तेरी अक्षुण्ण गोद में आकर,
मन पुलकित और…
तन चंचल हो जाती है…!
कलकल बहती तेरी जलधारा में,
मेरी विलीन मन…
और तल्लीन हो जाती है…!
माँ…! एक है अरमान मेरी,
तेरी आंचल में सदा…
ऐसे ही चहकती रहूंँ…!
अविरल तेरी जलधारा से,
हर उम्र पड़ाव में भी…
मैं पुष्पित और पल्लवित रहूँ…!! “””

*************∆∆∆************

Language: Hindi
136 Views
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