सपना सलोना सा प्यारा खिलौना सा
*आसमाँ से धरा तक मिला है चमन*
मंजिल पहुंचाना जिन पथों का काम था
जब कभी हमको सोचते होंगे ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
Consistency does not guarantee you you will be successful
गली में तेरे हर रोज फिरता था मैं।
सुनो रे सुनो तुम यह मतदाताओं
चिराग़ उम्मीद का जलाया न होता,
ई वी एम (हास्य व्यंग) मानवीकरण
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
तेवरी तथाकथित सौन्दर्य की पक्षधर नहीं +विजयपाल सिंह
यूं प्यार में ज़िंदगी भी तबाह हो जाती है,
घर-घर ओमप्रकाश वाल्मीकि (स्मारिका)
दुआओं में जिनको मांगा था।
“डिजिटल मित्रता” (संस्मरण)